White आगाज़-ऐ-मोहब्बत में ही अंजाम से डर गये।
यानी तुम इस फन में माहिर हो तजुर्बेकार हो।
ये कैसा डर,कैसी तसल्ली है -ऐ- मेरे हमनवा।
इश्के जंग में जो कुछ भी हो बस आरपार हो।
जाने वाले ने किया है लौटकर आने - का वादा।
कैसे यकीं हो तुम आज के दौर का अख़बार हो।
हरगिज़ ख़ुद का क़त्ल होने से रोक नहीं सकता।
तुम्हरी आंखे तौबा जैसे रजिस्थानी तलवार हो।
कल चले जाने से उसके गहरे सदमे में हूँ राहिब।
हालत ये जैसे कोई बहुत लंबे वक्त से बीमार हो।
दिलशाद राहिब।
©Adv Mohd Dilshad
#self_composed #love_qoutes love shayari Sarfraz Ahmad @Anshu writer @Adv Naim Malik Azad शादाब खांन 'शाद' Sakshi Dhingra