नफ़रत, द्वेष, ईर्ष्या, को मैं रखता नहीं फ़साने | हिंदी शायरी

"नफ़रत, द्वेष, ईर्ष्या, को मैं रखता नहीं फ़साने में। मुझ जैसा मिल जाए शायद तुमको कोई जमाने में।। - कुमार आदित्य यदुवंशी ✍️ ©Aditya Yadav"

 नफ़रत, द्वेष, ईर्ष्या, को मैं  रखता  नहीं  फ़साने में।
मुझ जैसा मिल जाए शायद तुमको कोई जमाने में।।
          - कुमार आदित्य यदुवंशी ✍️

©Aditya Yadav

नफ़रत, द्वेष, ईर्ष्या, को मैं रखता नहीं फ़साने में। मुझ जैसा मिल जाए शायद तुमको कोई जमाने में।। - कुमार आदित्य यदुवंशी ✍️ ©Aditya Yadav

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