कुछ ऐसा है ये वक्त...
भोर हुई , दिन ढला मुझे ऐहसास नहीं
कैसे दिन गुजरा,कैसे ये लंबी रात मुझे ऐहसास नहीं
दिल पत्थर सा हो गया है अब तो यारों,
कितने खंजर उसने चलाए दिल पर,मुझे ऐहसास नहीं।
कुछ ऐसा है ये वक्त...
सुबह शाम,हर वक्त गुमसुम रहता हूं,
क्या-क्यों-कैसे हुआ इसी सोच मे रहता हुं,
अब दोबारा ना ऐसा लम्हा मेरी जिंदगी में आये
खुदा से यही दुआ अब मै करता रहता हुं
कुछ ऐसा है ये वक्त...
©#KuMaR YoGesH