यहाँ हिन्दू ईद मनाता है भजन मुस्लमान गाता है यहा | हिंदी कविता
"यहाँ हिन्दू ईद मनाता है
भजन मुस्लमान गाता है
यहाँ मंदिर मस्जिद जो हो चाहे
सबसे सबका नाता है
मत तोड़ो इनको रेहने दो संघ
कितने सूंदर लगते है
जब गले लिपटते साथ सभी तब
एक गुलदस्ते लगते है"
यहाँ हिन्दू ईद मनाता है
भजन मुस्लमान गाता है
यहाँ मंदिर मस्जिद जो हो चाहे
सबसे सबका नाता है
मत तोड़ो इनको रेहने दो संघ
कितने सूंदर लगते है
जब गले लिपटते साथ सभी तब
एक गुलदस्ते लगते है