White - कुण्डलिया - नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा | हिंदी कविता

"White - कुण्डलिया - नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा रही लाज। हे केशव आ जाइए, एक बार फिर आज।। एक बार फिर आज, मौन हैं सत्ताधारी। कौन बचाए लाज, आप बिन कृष्ण मुरारी।। हुए आज बेखौफ, देश में अत्याचारी। हे गिरधर गोपाल, पुनः संकट में नारी।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava"

 White  - कुण्डलिया -
नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा रही लाज।
हे केशव आ जाइए, एक बार फिर आज।।
एक बार फिर आज, मौन हैं सत्ताधारी।
कौन बचाए लाज, आप बिन कृष्ण मुरारी।।
हुए आज बेखौफ, देश में अत्याचारी।
हे गिरधर गोपाल, पुनः संकट में नारी।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

White - कुण्डलिया - नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा रही लाज। हे केशव आ जाइए, एक बार फिर आज।। एक बार फिर आज, मौन हैं सत्ताधारी। कौन बचाए लाज, आप बिन कृष्ण मुरारी।। हुए आज बेखौफ, देश में अत्याचारी। हे गिरधर गोपाल, पुनः संकट में नारी।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

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