कब तक समेट कर रखोगी,
मेरे अरमानों को, पलकों तले ।।
@ do_lafzon_ki_kahani
बंद पलकों में,
छुपकर रहना, मेरी आदत नहीं है ।।
वर्मा_जी
कब तक समेट कर रखोगी,
मेरे अरमानों को, पलकों तले ।।
बंद पलकों में,
छुपकर रहना, मेरी आदत नहीं है ।।
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