पूरा आसमां भरा हुआ था तारों से यहां जमीन से रोशनी गायब थी
आसमान से चांद भी गायब था, तालाब की संतुष्टता भी गायब थी
और तारे भी टूटते हुए देखे,देखते हुए आसमां जिदंगी भी दिख गई
कुछ मांग न पाए ए खुदा,यहां जीवन से तो ख्वाहिशें ही गायब थी।
-शिवांश शुक्ला
©Shivansh Shukla
जीवन
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