दोस्त तुम बहुत याद आते हो
चाहे पहली बरसात हो चाहे चांदनी रात हो
हो चाहे घुप्प अंधेरा या होने वाला हो सवेरा
जो अचानक रात को नींद खुल जाती है
बहुत कोशिश करने पर भी नही आती है
दोस्त तुम बहुत याद आते हो।।
वो दूर तक एक दूसरे का हाथ थामे चलते जाना
वो किसी छोटी सी बात पर भी देर तक खिलखिलाना
किसी की भी हंसी उड़ाना और फिर एक दूजे को समझाना
अब जब हंसी को बुलाना पड़ता है
और आँसुओ को छुपाना पड़ता है
दोस्त तुम बहुत याद आते हो ।।
वो स्कूल की मस्ती वो प्यारी सी दोस्ती
एक अजनबी का यूँ बहुत अपना बन जाना
तेरा मेरी हर बात पर यूँ बेपरवाह खिलखिलाना
जब बिना मांगे मन किसी का साथ मांगता है
और आज भी हर फ्रेंडशिप बेंड तेरा हाथ मांगता है
दोस्त तुम बहुत याद आते हो ।।
बेपरवाह से कंही भी घूम आना, एक दूजे के लिए समय चुराना
पूरी पूरी शाम साथ बिताना और घर पे आके डाँट खाना
डाँट खाके भी मुस्कुराना, और अगले दिन का प्लान बनाना
जब भी कभी पानीपुरी खाई है
या तो बेवजह किसी को सुनाई है
जब भी कभी यादों की संदूक खुल पायी है
दोस्त तुम बहुत याद आते हो।।
जब बात करूं तेरी
तो शब्द कलम की जगह आँखों से बह रहे है
तेरे साथ जिये लम्हे फ़िल्म की तरह दिखाई दे रहे है
कितना भी लिख दूँ कम ही रहेगा
कोना तेरा मेरे मन में कोई नही लेगा
अब जब नया परिवार है तेरा भी मेरा भी
पर अब भी मन की जो कहनी हो
दोस्त तुम बहुत याद आते हो।।
'कुहू' ज्योति जैन
©KUHU
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