White मुझे तुम अब मेरी नहीं लगती, वो मेरे एक कॉल | हिंदी कविता

"White मुझे तुम अब मेरी नहीं लगती, वो मेरे एक कॉल नहीं उठाने पर 50 50 कॉल करने वाली नहीं लगती, गुस्से से नाराज होकर फोन कट कर दे कर, रात भर रोती वो पुरानी नहीं लगती, मेरे नाम को अपना बताने वाली तुम, मुझे अब मेरी नहीं लगती, वो जो कहां था तुमने कि बिछड़े नहीं है कभी, अकेले मैं हुं रास्ते पर आज भी, तुम मुसाफिर नहीं लगती, तुम आज भी मुझे कल जैसे लगती हो, अब साथ किसी और के साथ तुम हंसती हो, अब इंतजार तुम्हारे दिल को किसी और का होता है, बेचैन दिल आज भी मेरा सिर्फ तेरे लिए रोता हैं, वो रात अब पूरी नहीं लगती, तुम थी कभी मेरी ये जुबानी नहीं लगती, तुम क्यों आए, क्यों रहे, क्यों चले गए, सवालों कि ये जवाब शायद मायने नहीं रखते, तुम्हारी खुशी तुम्हारे लिए, मैने कुछ तो ख्वाब भुलाया है, मोहब्बत कर तुमसे, तुमसे कहां पाया हैं, तुमने भी प्यार अपना बताओ कब दिखाया हैं, अपनी पसंद की लहंगा लेकर आंसू झूठी दिखाया हैं, प्यार प्यार बेशुमार कह कर प्यार किसी और पर लुटाया हैं, सब याद हैं या भुल गए तुम, वो बात याद तुम्हें ऐसी नहीं लगती, तस्वीर पुरानी तुम्हारी लगती तो मेरी है, होंठो पर खुशी किसी और के खातीर तुम्हारी बातें मेरी नहीं लगती, बेबस बस अब एक साज़िश लगती है, जाके भी जो ना जाने दे, वो एक अंजान तीर से तुम मुझे प्यार नहीं बांधे रखती हो, सच कहें मयंक तो, तुम जो थी अब वो मुझे नहीं लगती, तुम मुझे अब मेरी नहीं लगती। मयंक कुमार। ©mayank mbk"

 White मुझे तुम अब मेरी नहीं लगती, 
वो मेरे एक कॉल नहीं उठाने पर 50 50 कॉल करने वाली नहीं लगती,
गुस्से से नाराज होकर फोन कट कर दे कर, 
रात भर रोती वो पुरानी नहीं लगती,
मेरे नाम को अपना बताने वाली तुम,
मुझे अब मेरी नहीं लगती, 
वो जो कहां था तुमने कि बिछड़े नहीं है कभी, 
अकेले मैं हुं रास्ते पर आज भी, तुम मुसाफिर नहीं लगती, 
तुम आज भी मुझे कल जैसे लगती हो, 
अब साथ किसी और के साथ तुम हंसती हो, 
अब इंतजार तुम्हारे दिल को किसी  और का होता है, 
बेचैन दिल आज भी मेरा सिर्फ तेरे  लिए रोता हैं, 
वो रात अब पूरी नहीं लगती, 
तुम थी कभी मेरी ये जुबानी नहीं लगती, 
तुम क्यों आए, क्यों रहे, क्यों चले गए, 
सवालों कि ये जवाब शायद मायने नहीं रखते, 
तुम्हारी खुशी तुम्हारे लिए, 
मैने कुछ तो ख्वाब भुलाया है,
मोहब्बत कर तुमसे, तुमसे कहां पाया हैं,
तुमने भी प्यार अपना बताओ कब दिखाया हैं,
अपनी पसंद की लहंगा लेकर आंसू झूठी दिखाया हैं,
प्यार प्यार बेशुमार कह कर प्यार किसी और पर लुटाया हैं,
सब याद हैं या भुल गए तुम, 
वो बात याद तुम्हें ऐसी नहीं लगती,
तस्वीर पुरानी तुम्हारी लगती तो मेरी है, 
होंठो पर खुशी किसी और के खातीर तुम्हारी बातें मेरी नहीं लगती, 
बेबस बस अब एक साज़िश लगती है, 
जाके भी जो ना जाने दे, 
वो एक अंजान तीर से तुम मुझे प्यार नहीं बांधे रखती हो, 
सच कहें मयंक तो,
तुम जो थी अब वो मुझे नहीं लगती,
तुम मुझे अब मेरी नहीं लगती।
मयंक कुमार।

©mayank mbk

White मुझे तुम अब मेरी नहीं लगती, वो मेरे एक कॉल नहीं उठाने पर 50 50 कॉल करने वाली नहीं लगती, गुस्से से नाराज होकर फोन कट कर दे कर, रात भर रोती वो पुरानी नहीं लगती, मेरे नाम को अपना बताने वाली तुम, मुझे अब मेरी नहीं लगती, वो जो कहां था तुमने कि बिछड़े नहीं है कभी, अकेले मैं हुं रास्ते पर आज भी, तुम मुसाफिर नहीं लगती, तुम आज भी मुझे कल जैसे लगती हो, अब साथ किसी और के साथ तुम हंसती हो, अब इंतजार तुम्हारे दिल को किसी और का होता है, बेचैन दिल आज भी मेरा सिर्फ तेरे लिए रोता हैं, वो रात अब पूरी नहीं लगती, तुम थी कभी मेरी ये जुबानी नहीं लगती, तुम क्यों आए, क्यों रहे, क्यों चले गए, सवालों कि ये जवाब शायद मायने नहीं रखते, तुम्हारी खुशी तुम्हारे लिए, मैने कुछ तो ख्वाब भुलाया है, मोहब्बत कर तुमसे, तुमसे कहां पाया हैं, तुमने भी प्यार अपना बताओ कब दिखाया हैं, अपनी पसंद की लहंगा लेकर आंसू झूठी दिखाया हैं, प्यार प्यार बेशुमार कह कर प्यार किसी और पर लुटाया हैं, सब याद हैं या भुल गए तुम, वो बात याद तुम्हें ऐसी नहीं लगती, तस्वीर पुरानी तुम्हारी लगती तो मेरी है, होंठो पर खुशी किसी और के खातीर तुम्हारी बातें मेरी नहीं लगती, बेबस बस अब एक साज़िश लगती है, जाके भी जो ना जाने दे, वो एक अंजान तीर से तुम मुझे प्यार नहीं बांधे रखती हो, सच कहें मयंक तो, तुम जो थी अब वो मुझे नहीं लगती, तुम मुझे अब मेरी नहीं लगती। मयंक कुमार। ©mayank mbk

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