ऐसे बिछड़े के बदन से रूह निकल जाए घुप अंधेरों में | हिंदी शायरी Video

"ऐसे बिछड़े के बदन से रूह निकल जाए घुप अंधेरों में फिर जान फिसल जाए। वक्त आने पे, यु वक्त सा वो बदल गए देखते देखते यूं रेत से वो फिसल गए।। ©Adv.Pramod@Basti "

ऐसे बिछड़े के बदन से रूह निकल जाए घुप अंधेरों में फिर जान फिसल जाए। वक्त आने पे, यु वक्त सा वो बदल गए देखते देखते यूं रेत से वो फिसल गए।। ©Adv.Pramod@Basti

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