वैसे तो मन मेरा , पुरानी बातों को याद नहीं करता है | हिंदी कविता

"वैसे तो मन मेरा , पुरानी बातों को याद नहीं करता है, पर ये जो पुरानी यादें है, हर बात पर सिरहाने चढ़ ही आती है, हां! ये तो है, कि सारी पुरानी बातें दुखदायी नही होती है, आपकी की है क्या? पर यादें जबरन ही ढेर एक उदासियां बटोर ही लाती है? खुद ही जानें क्यू? खैर! मेरे स्कूली बस्ते में दो परते थी, एक जगह कॉपियो के लिए, और दूसरे हिस्से में किताबों को जमाना था। काश कि, मन की भी कुछ परते होती, तो शायद आज हम, यादों और बातों को अलग कर के रख पाते। ऐसे में अब ये दोनो मिलकर, कभी न खत्म होने वाली पहेली बन चुकी है। ~स्मृतकाव्य .. ©smriti ki kalam se"

 वैसे तो मन मेरा ,
पुरानी बातों को याद नहीं करता है,
पर ये जो पुरानी यादें है,
हर बात पर सिरहाने चढ़ ही आती है, 

हां! ये तो है,
कि सारी पुरानी बातें दुखदायी नही होती है,
आपकी की है क्या?
पर यादें जबरन ही ढेर एक उदासियां बटोर ही लाती है?
खुद ही जानें क्यू?

खैर!
मेरे स्कूली बस्ते में दो परते थी,
एक जगह कॉपियो के लिए,
और दूसरे हिस्से में किताबों को जमाना था।

काश कि,
मन की भी कुछ परते होती,
तो शायद आज हम,
यादों और बातों को अलग कर के रख पाते। 
ऐसे में अब ये दोनो मिलकर,
कभी न खत्म होने वाली पहेली बन चुकी है।

~स्मृतकाव्य
























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©smriti ki kalam se

वैसे तो मन मेरा , पुरानी बातों को याद नहीं करता है, पर ये जो पुरानी यादें है, हर बात पर सिरहाने चढ़ ही आती है, हां! ये तो है, कि सारी पुरानी बातें दुखदायी नही होती है, आपकी की है क्या? पर यादें जबरन ही ढेर एक उदासियां बटोर ही लाती है? खुद ही जानें क्यू? खैर! मेरे स्कूली बस्ते में दो परते थी, एक जगह कॉपियो के लिए, और दूसरे हिस्से में किताबों को जमाना था। काश कि, मन की भी कुछ परते होती, तो शायद आज हम, यादों और बातों को अलग कर के रख पाते। ऐसे में अब ये दोनो मिलकर, कभी न खत्म होने वाली पहेली बन चुकी है। ~स्मृतकाव्य .. ©smriti ki kalam se

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#Memories

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