aajkal ka cinema हम सब एक सिनेमा है ।
ऊपरवाला इसका निर्माता है ।
और वो ही है भाग्य विधाता ।
हम क्यी बार अपने भाग्य से लड़ ज़ाते है ।
और क्यी बार थक कर बैठ ज़ाते है ।
ये सिनेमा क्यी बार होता है लाजवाब ।
तो यही क्यी बार होता है बेनकाब ।
सबकुछ यही प़र झेलना है ।
झख्मो को भि सिलना है ।
©Author Shivam kumar Mishra
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