एक ही जख्म नहीं पूरा वजूद ही जख्मी है, कमबख्त दर् | हिंदी शायरी

"एक ही जख्म नहीं पूरा वजूद ही जख्मी है, कमबख्त दर्द भी हैरान है आखिर उठे तो उठे कहां से"

 एक ही जख्म नहीं पूरा वजूद ही जख्मी है,

कमबख्त दर्द भी हैरान है आखिर उठे तो उठे कहां से

एक ही जख्म नहीं पूरा वजूद ही जख्मी है, कमबख्त दर्द भी हैरान है आखिर उठे तो उठे कहां से

Ritika suryavanshi pooja negi# @shivam kumar mishra 👉,,অবুঝ মন,,👈 🙄 Jhalli 'ਝੱਲੀ'🤸

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