देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर

"देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । रो रहा था बहुत परेशान था वह सबसे पूछ रहा था, एक बाप लाशों के ढेर में अपना बेटा ढूँढ रहा था। ©sarvar ali"

 देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, 
हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । 

सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, 
ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । 

रो रहा था बहुत परेशान था वह सबसे पूछ रहा था, 
एक बाप लाशों के ढेर में अपना बेटा ढूँढ रहा था।

©sarvar ali

देखो हमारे ख्वाब कैसे बिखर गए, हाथ मै टिकट था मगर हम घर नही गए । सफर शुरू किया था की घर जायेंगे, ये किसने सोचा था की मर जायेंगे । रो रहा था बहुत परेशान था वह सबसे पूछ रहा था, एक बाप लाशों के ढेर में अपना बेटा ढूँढ रहा था। ©sarvar ali

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