मैं नैतिकताओं का पक्षधर नहीं हूँ
क्यूंकि मैं जानता हूँ की सही-गलत दो सबसे
बड़े निरर्थक लफ्ज़ हैं
इसीलिए मन को मारे बिना हर वो बात कहने
और करने की सलाह देता हूँ
जिससे बाकी जीवन किसी निर्मम काश की
प्रतीक्षा के बजाय बेबाक़ी से अपनी शर्तों पे जी सको
©Md Aamir Hussain
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