White लब-ए-ख़मोश से अफ़्शा होगा
राज़ हर रंग में रुसवा होगा
दिल के सहरा में चली सर्द हवा
अब्र गुलज़ार पे बरसा होगा
तुम नहीं थे तो सर-ए-बाम-ए-ख़याल
याद का कोई सितारा होगा
किस तवक्क़ो पे किसी को देखें
कोई तुम से भी हसीं क्या होगा
ज़ीनत-ए-हल्क़ा-ए-आग़ोश बनो
दूर बैठोगे तो चर्चा होगा
ज़ुल्मत-ए-शब में भी शर्माते हो
दर्द चमकेगा तो फिर क्या होगा
जिस भी फ़नकार का शाहकार हो तुम
उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
किस क़दर कब्र से चटकी है कली
शाख़ से गुल कोई टूटा होगा
उम्र भर रोए फ़क़त इस धुन में
रात भीगी तो उजाला होगा
सारी दुनिया हमें पहचानती है
कोई हम सा भी न तनहा होगा
©Deepbodhi
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