मेरे तुम्हारे बीच में जो एक मजबूरी का यह रिश्ता है,
कुछ ऐसा है,जैसे गेहूं दो पाटों के बीच में पिसता है।
रबड़ सी जिंदगी है,जो मिटाता है खुद भी घिसता है,
अब वो बात नहीं प्यार में,कहाँ दो दिलों में टिकता है।
यारो खरीददार होना चाहिए,यहाँ प्यार भी बिकता है,
शायर सिर्फ कल्पना नहीं,अपना तजुर्बा भी लिखता है।
©Diwan G
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