बुझ गई है रिश्तो की रोशनी में अपने उम्र की मोमबत्त | हिंदी विचार

"बुझ गई है रिश्तो की रोशनी में अपने उम्र की मोमबत्ती क्या बुझाता!!! बिछड़ने से पहले तुम्हे कस के गले लगाया था और अब तुम से हाथ भी क्या मिलाता!!! मां ने बड़े प्यार से बनाया था उन्हें बुरा लगता वरना तुम्हारे बगैर एक पल नही कटता में cake क्या काट ता!!! ©Ronak Bhartiya"

 बुझ गई है रिश्तो की रोशनी
में अपने उम्र की मोमबत्ती क्या बुझाता!!!

बिछड़ने से पहले तुम्हे कस के गले लगाया था
और अब तुम से हाथ भी क्या मिलाता!!!

मां ने बड़े प्यार से बनाया था उन्हें बुरा लगता
वरना तुम्हारे बगैर एक पल नही कटता
में cake क्या काट ता!!!

©Ronak Bhartiya

बुझ गई है रिश्तो की रोशनी में अपने उम्र की मोमबत्ती क्या बुझाता!!! बिछड़ने से पहले तुम्हे कस के गले लगाया था और अब तुम से हाथ भी क्या मिलाता!!! मां ने बड़े प्यार से बनाया था उन्हें बुरा लगता वरना तुम्हारे बगैर एक पल नही कटता में cake क्या काट ता!!! ©Ronak Bhartiya

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