White बिखर गई हूं मैं हजार टुकड़ों में तू समेट ले | हिंदी शायरी

"White बिखर गई हूं मैं हजार टुकड़ों में तू समेट ले तो शायद जुड़ जाऊं मैं हंसती रहती हूं यूं हीं बेवजह की बातों पे तू पूछ ले जो हाल मेरा, खुल के रो जाऊं मैं जरा सी भी मेरी हालत का अंदाजा है क्या तुम्हे जरा सी भी..............2..............? इतना नाजुक दौर है की, कोई तिनका भर भी हवा दे दे तो वहीं जल के ढेर हो जाऊं मैं कोई दे दे नसीहत अगर किसी टोटके का तेरी खातिर इस अंधविश्वास से भी गुजर जाऊं मैं बिखर गई हूं मैं हजार टुकड़ों में तू समेट ले तो शायद जुड़ जाऊं मैं।। ©Pinki Singh"

 White बिखर गई हूं मैं हजार टुकड़ों में
तू समेट ले तो शायद जुड़ जाऊं मैं
हंसती रहती हूं यूं हीं बेवजह की बातों पे
तू पूछ ले जो हाल मेरा, खुल के रो जाऊं मैं
जरा सी भी मेरी हालत का अंदाजा है क्या तुम्हे
जरा सी भी..............2..............?
इतना नाजुक दौर है की, कोई तिनका भर भी
हवा दे दे तो वहीं जल के ढेर हो जाऊं मैं
कोई दे दे नसीहत अगर किसी टोटके का
तेरी खातिर इस अंधविश्वास से भी गुजर
जाऊं मैं
बिखर गई हूं मैं हजार टुकड़ों में
तू समेट ले तो शायद जुड़ जाऊं मैं।।

©Pinki Singh

White बिखर गई हूं मैं हजार टुकड़ों में तू समेट ले तो शायद जुड़ जाऊं मैं हंसती रहती हूं यूं हीं बेवजह की बातों पे तू पूछ ले जो हाल मेरा, खुल के रो जाऊं मैं जरा सी भी मेरी हालत का अंदाजा है क्या तुम्हे जरा सी भी..............2..............? इतना नाजुक दौर है की, कोई तिनका भर भी हवा दे दे तो वहीं जल के ढेर हो जाऊं मैं कोई दे दे नसीहत अगर किसी टोटके का तेरी खातिर इस अंधविश्वास से भी गुजर जाऊं मैं बिखर गई हूं मैं हजार टुकड़ों में तू समेट ले तो शायद जुड़ जाऊं मैं।। ©Pinki Singh

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