"पैमाने मेसे छलके हूऐ नशे की
बूंदों के कतरे भरी आस बाकी है |
तेरे नशीले निगाहों के दीदार के लीऐ
उस आखरी लम्हे की आस बाकी है |
खूदाका करम मील जाऐ
जैसे
जैसे बेजान जीस्म को तेरे आनेकी
आहट के लीए कब्र में भी धडकनो की आस
बाकी है |
✍️ धम्मदीप ✍️
©Dhammdeep Meshram
"