26 jan republic day उगते सूरज और चांद में जब तक है अरुणाई,
हिन्द महासागर की लहरों में जबतक तरुणाई,
वृद्ध हिमालय जब तक सर पर श्वेत जटाएँ बाँधे,
भारत की गणतंत्र पताका रहे गगन पर छाई।
भारतमाता तुम्हें पुकारे, आना ही होगा,
कर्ज अपने देश का, चुकाना ही होगा,
दे करके कुर्बानी अपनी जान की,
तुम्हे मरना भी होगा और मारना भी होगा
लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैं,
यूँ ही नहीं दोस्तों हम ये पर्व मनाते हैं।
©Geeta Sharma
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