आजाद होइगा देश शुख उठाव मजे ते
जहाँ चाहौ नापदान तहं बहाव मजे ते
गाड़ी सवार साइकिल पावंय न जब निकरि
तब दूनौ जने छत पर मुसकाव मजे ते।
सरकारी अस्पताल चले जाव मजे ते
परचा रुपैया एक मा बनवाव मजे ते
डॉक्टर समय से मिलिहैं ना देखिहैं मरीज का
बदले मा फीस दइकय तुम देखाव मजे ते।
हत्या पे हत्या हुइ रही तुम स्वाव मजे ते
मामूली वारदात भै बताव मजे ते
दुनियां तौ सुधरि गै है मुला तुम नहीं सुधरेव
लत्ता का सांपु हरदम बनाव मजे ते।
आफिस मा बैठि गप्पै लड़ाव मजे ते
दुखिया गरीब द्याखव टरकाव मजे ते
ठण्डी मा लाग हीटर गर्मी बढा रहा
गरमी मा लाग कूलर जुड़ाव मजे ते
अब जैसे बनै रुपिया कमाव मज़े ते।
मउका लगाव लड़ि जाव चुनाव मजे ते
कगजै मा काम सारे विकास के करौ
जनता का खाली उल्लू बनाव मजे ते
अपहरण लूट हत्या करवाव मजे ते
यहि लोकतंत्र का सिर झुकाव मजे ते
जेहि देश बड़े कितनेउ गरदन कटा दिहिनि
वहि देश केरि नाक तुम कटाव मजे ते।।
©Vineet Kumar
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