मेरी गलतियों की कोई गिनती नहीं है फिर भी,
उसके दामन में बेशुमार चाहत है।
पूरी दुनिया तप रही हो धूप में फिर भी,
उसके आंचल में बेशुमार राहत है।।
#माँ
मेरी गलतियों की कोई गिनती नहीं है फिर भी,
उसके दामन में बेशुमार चाहत है।
हर आफत से टकरा जाए वो मेरे लिए,
बूढ़ी बाजुओं में बेशुमार ताकत है।
#पिता
मेरी गलतियों की कोई गिनती नहीं है फिर भी,
उसके दामन में बेशुमार चाहत है।
छोड़ दिया सारी दुनिया जिसने मेरी खातिर,
उसकी आंखों में बेशुमार चाहत है।
#पत्नी
©ASIF ANWAR
मां—पिता और पत्नी Jasmine of December @Pooja Udeshi @Anshu writer @isha rajput अब्र The Imperfect