भ्रष्टाचारी के युग में,मुश्किल हुआ जीना। लूट-कसोट

"भ्रष्टाचारी के युग में,मुश्किल हुआ जीना। लूट-कसोट कर पी जाते,मेहनत का खून-पसीना। कोई प्यार से, तो कोई दुर्व्यवहार से। मुश्किल है बचके रहना, बढ़ते भ्रष्टाचार से। बी.एन.शुक्ला"

 भ्रष्टाचारी के युग में,मुश्किल हुआ जीना। 
लूट-कसोट कर पी जाते,मेहनत का खून-पसीना। 
कोई  प्यार से, तो कोई दुर्व्यवहार से। 
मुश्किल है बचके रहना, बढ़ते भ्रष्टाचार से।
  बी.एन.शुक्ला

भ्रष्टाचारी के युग में,मुश्किल हुआ जीना। लूट-कसोट कर पी जाते,मेहनत का खून-पसीना। कोई प्यार से, तो कोई दुर्व्यवहार से। मुश्किल है बचके रहना, बढ़ते भ्रष्टाचार से। बी.एन.शुक्ला

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