"बस एक रात जो तेरे लब मेरे लब से न मिले,
जैसे तुझे चूमे इक ज़माना हो गया ।
पिला देते हो यूँ नज़रों से अपने तुम,
तुम्हारी आँखें नही जैसे पैमाना हो गया ।
- दुर्गेश कसौधन"
बस एक रात जो तेरे लब मेरे लब से न मिले,
जैसे तुझे चूमे इक ज़माना हो गया ।
पिला देते हो यूँ नज़रों से अपने तुम,
तुम्हारी आँखें नही जैसे पैमाना हो गया ।
- दुर्गेश कसौधन