part 3
फितूर दिल में, खुदा दिखे अक्श़ में,
तस्वीर अधूरी चांदी की नक्का़शी में,
मनमौझी फैसलों की उलझन में,
जा रहे हो,जा रहे हो।
ख्वाबों का इकरार, नैंनों का सुरुर,
स्वप्न में मेल, अरमानों का खेल,
अनायास टकराव, सदा की चाह का मोह,
जा रहे हो, जा रहे हो।
बेशुमार मेला ,दुनिया का,
रुसवाइयों का खजाना,
मंजिल से पहले रुक गए,
जा रहे हो ,जा रहे हो।
©Ankit verma 'utkarsh'
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