महका महका सा समां,
कभी हल्की सी चांदनी तो
कभी घनघोर अंधेरा।
कभी दिल को सुकुन
तो कभी विरानी रात।
बस इतनी सी इल्तजा है...
ऐ चांद अपनी चांदनी को छुपा ले,
कहीं मेरी चांदनी ना शरमा जाएं।
©VINOD VANDEMATRAM
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