ख्वाबों का शहर पाल रखा है हमने...!
बरसों से तुमको अपना मान रखा है हमने...!!
सिलसिले मरासिम के यूं ही नहीं तोड़े जाते...!
रिश्तों-रवायतों को सुन्नत मान रखा है हमने...!!
बेवफाई कोई रस्म नहीं, इन्सानी फितरत है...!
दिल के टुकड़ों को लिफाफे में डाल रखा है हमने...!!
किसकी सफाई सुनूँ और किसको सफाई दूँ...!
सब सवालों और जवाबों को टाल रखा है हमने...!!
बेसबब की उम्मीदें, बेसबब की आरज़ू अफसर...!
सच कहूँ तो बस एक वहम पाल रखा है हमने...!!
📝Afसर©️
©AFSAR SAFAR
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