मन बंजारा मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। चा | हिंदी कविता Video

"मन बंजारा मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। चार दिनों की ज़िन्दगी, बस इतना गुजारा है। ये मन भी कहाँ इक पल, चैन से सोता है, ख़्वाब सजाये आँखों में, चैन ये खोता है। चाहत के जुनूँ में मन, बस फिरता मारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। ये तन भी कहाँ हरदम, साथ निभाता है, बचपन से बुढापा तक, हाथ बढ़ाता है। गैरों से गिला कैसी? अपनों ने जारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। तिनका-तिनका ये जीवन जोड़ता जाता है. इक पल के बुलावे में सब छोड़ता जाता है। साँसों की उधारी में धड़कन का सहारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। घनघोर निशा चाहे काली पर होता सबेरा है, सुबह सुनहरी हो लाली फिर होता अँधेरा है। वक्त से जंग लड़कर, खुद ही सब हारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। जीवन तो यहाँ हरक्षण, संघर्ष में जीता है, अपनों से मिले आँसू, हरपल ये पीता है। कुछ पल का बसेरा पर लगता क्यूँ प्यारा है? मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। दौलत शोहरत और सूरत, केवल तो माया है, सबकुछ छोड़के जाना ही, जो कुछ पाया है। जो कर्म किया अच्छा, तब मिलता किनारा है, मन बंजारा तन बंजारा, ये जीवन बंजारा है। ©पंकज प्रियम ©Pankaj Priyam "

मन बंजारा मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। चार दिनों की ज़िन्दगी, बस इतना गुजारा है। ये मन भी कहाँ इक पल, चैन से सोता है, ख़्वाब सजाये आँखों में, चैन ये खोता है। चाहत के जुनूँ में मन, बस फिरता मारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। ये तन भी कहाँ हरदम, साथ निभाता है, बचपन से बुढापा तक, हाथ बढ़ाता है। गैरों से गिला कैसी? अपनों ने जारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। तिनका-तिनका ये जीवन जोड़ता जाता है. इक पल के बुलावे में सब छोड़ता जाता है। साँसों की उधारी में धड़कन का सहारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। घनघोर निशा चाहे काली पर होता सबेरा है, सुबह सुनहरी हो लाली फिर होता अँधेरा है। वक्त से जंग लड़कर, खुद ही सब हारा है, मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। जीवन तो यहाँ हरक्षण, संघर्ष में जीता है, अपनों से मिले आँसू, हरपल ये पीता है। कुछ पल का बसेरा पर लगता क्यूँ प्यारा है? मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है। दौलत शोहरत और सूरत, केवल तो माया है, सबकुछ छोड़के जाना ही, जो कुछ पाया है। जो कर्म किया अच्छा, तब मिलता किनारा है, मन बंजारा तन बंजारा, ये जीवन बंजारा है। ©पंकज प्रियम ©Pankaj Priyam

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