खुदा से मैं रोज दुआ मांगता हूं, ना जाने मैं उनसे य | हिंदी शायरी

"खुदा से मैं रोज दुआ मांगता हूं, ना जाने मैं उनसे यह क्या मांगता हूं, तेरी हर मुस्कान के लिए हर चीज अर्पण कर देता हूं, अपनी मुस्कान भी छोड़नी पड़े तो भी तैयार हूं। तेरी हर खुशी में शामिल होने की दुआएं मांगता हूं, अगर शामिल ना हूं, तो तेरी दुआ बनना चाहता हूं मैं। खुदा से मैं रोज दुआ मांगता हूं, ना जाने मैं उनसे यह क्या मांगता हूं।।"

 खुदा से मैं रोज दुआ मांगता हूं,
ना जाने मैं उनसे यह क्या मांगता हूं,

तेरी हर मुस्कान के लिए हर चीज अर्पण कर देता हूं,
अपनी मुस्कान भी छोड़नी पड़े तो भी तैयार हूं।

तेरी हर खुशी में शामिल होने की दुआएं मांगता हूं,
अगर शामिल ना हूं, तो तेरी दुआ बनना चाहता हूं मैं।

 खुदा से मैं रोज दुआ मांगता हूं,
 ना जाने मैं उनसे यह क्या मांगता हूं।।

खुदा से मैं रोज दुआ मांगता हूं, ना जाने मैं उनसे यह क्या मांगता हूं, तेरी हर मुस्कान के लिए हर चीज अर्पण कर देता हूं, अपनी मुस्कान भी छोड़नी पड़े तो भी तैयार हूं। तेरी हर खुशी में शामिल होने की दुआएं मांगता हूं, अगर शामिल ना हूं, तो तेरी दुआ बनना चाहता हूं मैं। खुदा से मैं रोज दुआ मांगता हूं, ना जाने मैं उनसे यह क्या मांगता हूं।।

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