ना जाने किस मकाम पर आ खड़ी हुई है ये जिंदगी, गरीब

"ना जाने किस मकाम पर आ खड़ी हुई है ये जिंदगी, गरीब और अमीर के साथ, पहली दफा एक जैसा बर्ताब कर रही ये जिंदगी, ना गरीब पर दया दिखाती है, ना ही अमीर का पक्ष लेती है, ना जाने कैसा जुल्म कर रही है ये जिंदगी, या भेद-भाव करने पर, कुछ सबक सिखा रही ये जिंदगी। इस जिंदगी के इम्तिहां में, कोई पास तो कोई फेल हो रहा है, कहीं कोई अपने को खो रहा है, तो कहीं कोई अपनों के लिए अपनों से ही दूर रह रहा है, किसी ने सोचा नहीं था, ऐसा दिन भी आएगा, भूख, बेरोजगारी, मजबूरी के साथ महामारी भी इतना रुलाएगा। आओ चलो, इस मुश्किल वक्त में, एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते हैं, दिखे कहीं एंबुलेंस तो हाथ जोड़, दुआ कर, किसी की जिंदगी बचाते हैं, लड़ना भी होगा और जितना भी होगा, सकारात्मकता की लौ एक बार फिर सबके अंदर जगाना होगा, यूं हार मानने से जंग ख़त्म नही होती, इस बात से वाक़िफ एक बार फिर सबको करवाना होगा। ©Rishika Seth"

 ना जाने किस मकाम पर आ खड़ी हुई है ये जिंदगी,
गरीब और अमीर के साथ, पहली दफा एक जैसा बर्ताब कर रही ये जिंदगी,
ना गरीब पर दया दिखाती है, ना ही अमीर का पक्ष लेती है,
ना जाने कैसा जुल्म कर रही है ये जिंदगी,
या भेद-भाव करने पर, कुछ सबक सिखा रही ये जिंदगी।

इस जिंदगी के इम्तिहां में, कोई पास तो कोई फेल हो रहा है,
कहीं कोई अपने को खो रहा है, तो कहीं कोई अपनों के लिए अपनों से ही दूर रह रहा है, 
किसी ने सोचा नहीं था, ऐसा दिन भी आएगा,
भूख, बेरोजगारी, मजबूरी के साथ महामारी भी इतना रुलाएगा।

आओ चलो, इस मुश्किल वक्त में, एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते हैं,
दिखे कहीं एंबुलेंस तो हाथ जोड़, दुआ कर, किसी की जिंदगी बचाते हैं,
लड़ना भी होगा और जितना भी होगा, 
सकारात्मकता की लौ एक बार फिर सबके अंदर जगाना होगा, 
यूं हार मानने से जंग ख़त्म नही होती,
इस बात से वाक़िफ एक बार फिर सबको करवाना होगा।

©Rishika Seth

ना जाने किस मकाम पर आ खड़ी हुई है ये जिंदगी, गरीब और अमीर के साथ, पहली दफा एक जैसा बर्ताब कर रही ये जिंदगी, ना गरीब पर दया दिखाती है, ना ही अमीर का पक्ष लेती है, ना जाने कैसा जुल्म कर रही है ये जिंदगी, या भेद-भाव करने पर, कुछ सबक सिखा रही ये जिंदगी। इस जिंदगी के इम्तिहां में, कोई पास तो कोई फेल हो रहा है, कहीं कोई अपने को खो रहा है, तो कहीं कोई अपनों के लिए अपनों से ही दूर रह रहा है, किसी ने सोचा नहीं था, ऐसा दिन भी आएगा, भूख, बेरोजगारी, मजबूरी के साथ महामारी भी इतना रुलाएगा। आओ चलो, इस मुश्किल वक्त में, एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते हैं, दिखे कहीं एंबुलेंस तो हाथ जोड़, दुआ कर, किसी की जिंदगी बचाते हैं, लड़ना भी होगा और जितना भी होगा, सकारात्मकता की लौ एक बार फिर सबके अंदर जगाना होगा, यूं हार मानने से जंग ख़त्म नही होती, इस बात से वाक़िफ एक बार फिर सबको करवाना होगा। ©Rishika Seth

Can we pray just 2 minutes for those who are suffering from covid?
Can we save our earth?
Can we save everyone by spreading positivity?

Yes, we can.
You all know that where science fails, God fixes everything.

If, we pray together for the same purpose from the heart, then it definitely makes an impact so please, fold your hands and create the energy together and pray for them and also spread the positivity which will vibrate the Mother earth.

People who shared love close

More like this

Trending Topic