जो ताउम्र साथ न दे पाए, जो जीवन के हर मोड़ पे आपको आपकी कमियां गिनाएक्या
आपकी तकलीफ को दरकिनार करके सिर्फ अपनी खुशियां सोच पाए
जिनके साथ आपने प्रेम किया वो आपसे बार बार छल कर जाए
यकीं मानिए वो आपको कभी समझ ही न पाए
वृक्ष पर लगा फल जब समंदर में गिरता है तो उसकी नियति निश्चित करती कि उसको कहा वृक्ष बनना जो उसको स्वीकार न कर पाए वो वृक्ष क्या बनेगा
और वो वृक्ष जिसने अपने अधिकार को न त्यागा, वो फल का दुश्मन बन बैठा
अंतरात्मा कभी गलत नहीं कहती क्युकी वो अंदर बसती
परमात्मा साधारण दिखते नही, जैसे आंखे स्वयं को दिखती नही पर दिखाती सब कुछ है।
©UvVishal Dixit
#Anger