हर किताब कुछ कहती हैं, हर किताब कि आवाज़ होती हैं,

"हर किताब कुछ कहती हैं, हर किताब कि आवाज़ होती हैं, बोल उठती हैं वो स्याही जिससे लिखता हैं उस किताब का रचयिता, किताब चाहे चालीस पन्नों की हो या चार सौ पन्नों कि, उन पन्नों के हर अल्फाजों से जुड़ीं होती है उस लेखक की आत्मीयता, यु ही नहीं, हर किताब कुछ कहती हैं, हर किताब कि आवाज़ होती हैं। ©Priya Sahu"

 हर किताब कुछ कहती हैं,
हर किताब कि आवाज़ होती हैं,
बोल उठती हैं वो स्याही जिससे लिखता हैं उस किताब का रचयिता,
किताब चाहे चालीस पन्नों की हो या चार सौ पन्नों कि,
उन पन्नों के हर अल्फाजों से जुड़ीं होती है उस लेखक की आत्मीयता,
यु ही नहीं, हर किताब कुछ कहती हैं,
हर किताब कि आवाज़ होती हैं।

©Priya Sahu

हर किताब कुछ कहती हैं, हर किताब कि आवाज़ होती हैं, बोल उठती हैं वो स्याही जिससे लिखता हैं उस किताब का रचयिता, किताब चाहे चालीस पन्नों की हो या चार सौ पन्नों कि, उन पन्नों के हर अल्फाजों से जुड़ीं होती है उस लेखक की आत्मीयता, यु ही नहीं, हर किताब कुछ कहती हैं, हर किताब कि आवाज़ होती हैं। ©Priya Sahu

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