चल आ एक ऐसी नज़्म कहूँ, जो लफ्ज़ कहूँ वो हो जाए
बस अश्क़ कहु तो एक आंसू तेरे गोरे गाल को धो जाए
मै आ लिखू तू आ जाए, मै बैठ कहु तू आ बैठे
मेरे शाने पर तू सर रख के, मै नींद कहु तू सो जाए
मै कागज़ पर तेरे होंठ लिखू, तेरे होंठो पर मुस्कान आये
मै दिल लिखू तू दिल थामे, मै गुम लिखू वो खो जाए
तेरे हाथ बनाऊ पेंसिल से, उन हाँथो पर फिर हाँथ रखु
कुछ उल्टा सीधा फर्ज़ करू, कुछ सीधा उल्टा हो जाए
मै आह लिखू तू हाय करे, बेचैन लिखू बेचैन हो जाए
फिर मै बेचैन का "बे" काटूँ, तुझे चैन ज़रा सा हो जाए
मै "एयन" लिखू तू सोचे मुझे
मै "शीन" लिखू तेरी नींद उड़े
मै "क़ाफ" लिखू तुझे कुछ कुछ होए
मै "इश्क़" लिखू तुझे हो जाए
©Faizan Kanpuri
#Light