White "मन की आवाज़"
अथवा :- गंगा सी दीवानी कीचड़ सा आंवारा
प्यार की आदत उसने लगाई
और आदि मैं हों गया।
उसके मन की आवाज का
बिग फैन विनय हों गया।।
वो गंगा सी दीवानी स्वच्छ
निर्मल नीर बहती जलधारा।
मुझ कीचड़ सा आवांरा दीवाना
संग मेल पर संशय हों गया।।
मानो वो अमृत की पावन प्रीत
प्याली मैं विष का मामूली ।
टुकड़ा का एक दूजे में लगा
रासायनिक विलय हों गया।।
दोस्ती उससे ऐसे हुई जैसे सुर
ताल संगीत एक लय हों गया।
कहीं रूठ न जाए मेरी छोटी मोटी ।
गलतियों से थोडा-सा भय हों गया।।
सोचा था कभी फुर्सत में सुनाऊंगा
उसे अपनी दास्तान,गज़ल,गीत,।
कविता कहानी का दर्द भरा इंतेहां
अग्नि परीक्षा प्यारा परिणाम।।
पर दिल थम सा गया ,सुना जब
उसका रिश्ता कही तय हों गया।
मेरे गुमशुदे ईश्क प्रेम मोहब्बत के
अन्तिम दृश्य का समय हों गया ।।
प्यार के बाजारों में उसके सोने का
दिल किसी क्रेता के नाम बय हो गया।
रजिस्ट्री यानी बिक्री जोर बेईमानी
तिलक दहेज़ भीं सब तय हों गया।।
दावत दिया था भोज का उसने
अपनी सजी महफिल में मुझे।
पर मै शर्मिन्दा हों गया खुदको।
हारते हुए गिरते हुए देखकर।।
बाजीगर मैं बना बाजीगर पर कोई।
और उसका विजय हों गया।।
मूंह मीठा करने ही वाला था की ।
अचानक मुझे उल्टी कय हों गया।।
डॉक्टर ने कहा ठीक हों जायेगा ये
धीरे धीरे दिल का रोगी पागल प्रेमी।।
इसका धड़कन बड़ा नाज़ुक हैं।
कोमल हृदय सह मासूम हैं ।।
इसे प्यार की खुराक की जरूरत हैं।
क्योंकि इसके दिल जान मोहब्बत ।।
प्रेमिका सपना का छय हों गया
जैसे दिल का कोई पय हों गया।।
शमा बांधकर महफिल में रंग जमाकर
गाकर प्रेमगीत विद्यार्थी रो गया ।
कलप तड़पकर छुपा लिया अपने गम
प्रकाश शिक्षा मन्दिर में कहीं खो गया।।
स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
भोजपुर बिहार
©Prakash Vidyarthi
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