तेरे बदन की खुशबू आज तक मेरे जिस्म से आती है, तेरी | हिंदी शायरी

"तेरे बदन की खुशबू आज तक मेरे जिस्म से आती है, तेरी महक का इत्र मेरे शरीर के ऊपर नहीं अंदर लगा है।।"

 तेरे बदन की खुशबू आज तक मेरे जिस्म से आती है,
तेरी महक का इत्र मेरे शरीर के ऊपर नहीं अंदर लगा है।।

तेरे बदन की खुशबू आज तक मेरे जिस्म से आती है, तेरी महक का इत्र मेरे शरीर के ऊपर नहीं अंदर लगा है।।

because you were so close to my soul!

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