सुबह का उगता हुआ सुरज और ढ़लती हुई शाम रोज ये या | हिंदी Shayari

"सुबह का उगता हुआ सुरज और ढ़लती हुई शाम रोज ये याद दिलाता है कि मुझे अपनो के लिए बहूत कुछ करना है। तुझे भुला कर ।।"

 सुबह का उगता हुआ सुरज और ढ़लती हुई शाम  
रोज ये याद दिलाता है कि मुझे अपनो के लिए बहूत कुछ करना है।

तुझे भुला कर  ।।

सुबह का उगता हुआ सुरज और ढ़लती हुई शाम रोज ये याद दिलाता है कि मुझे अपनो के लिए बहूत कुछ करना है। तुझे भुला कर ।।

#DurgeshGupta(Arun)

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