हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार, थार के रेगिस | हिंदी कविता

"हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार, थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार। केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद, अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद। काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात, अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात। ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर, दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर। पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान, बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान। हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज, इस विविधता पर हर दिल को है नाज़। तमिल में मिठास, संस्कारों का मान, बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान। मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप, पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप। भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम, बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम। गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान, इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान। त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान, संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान। ©नवनीत ठाकुर"

 हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार,
थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार।
केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद,
अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद।
काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात,
अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात।
ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर,
दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर।
पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान,
बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान।
हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज,
इस विविधता पर हर दिल को है नाज़।
तमिल में मिठास, संस्कारों का मान,
बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान।
मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप,
पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप।
भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम,
बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम।
गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान,
इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान।
त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान,
संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान।

©नवनीत ठाकुर

हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार, थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार। केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद, अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद। काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात, अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात। ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर, दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर। पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान, बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान। हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज, इस विविधता पर हर दिल को है नाज़। तमिल में मिठास, संस्कारों का मान, बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान। मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप, पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप। भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम, बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम। गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान, इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान। त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान, संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान। ©नवनीत ठाकुर

#हर दिल में बसता हिंदुस्तान है

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