कोई भी किसी के लिए
अपना न पराया है
कोई भी किसी के लिए
अपना न पराया है
रिष्ते के उजाले में
हर आदमी साया है
रिष्ते के उजाले में
हर आदमी साया है
क़ुदरता के भी देखो तो
ये खेल पुराने है
है कौन वो दुनिया में
न पाप किया जिसने
है कौन वो दुनिया में
न पाप किया जिसने
बिन उलझे कांटो से
है फूल चुने किसने
बे दाग नहीं कोई
यहां पापी सारे है
©vinay birha
.. jivan ke such....
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