न जानें क्यूं अपनों से बिछड़ गए हम । जाना था किधर | हिंदी शायरी

"न जानें क्यूं अपनों से बिछड़ गए हम । जाना था किधर किधर गए हम। मुकद्दर का गजब करिश्मा है। मिलनें से पहले बिछड़ गए हम। तुम्हें क्या पता दिल पे क्या क्या न बीती। बतानें से पहले गुजर गए हम। नजमीं इस बात पे भला क्या रोंना। बिछड़नें वाले थे,बिछड़ गए हम ।। ©Nasim Nazmi "Shayar""

 न जानें क्यूं अपनों से बिछड़ गए हम ।
जाना था किधर किधर गए हम।

मुकद्दर का गजब करिश्मा है।
मिलनें से पहले बिछड़ गए हम।

तुम्हें क्या पता दिल पे क्या क्या न बीती।
बतानें से पहले गुजर गए हम।

नजमीं इस बात पे भला क्या रोंना।
बिछड़नें वाले थे,बिछड़ गए हम ।।

©Nasim Nazmi "Shayar"

न जानें क्यूं अपनों से बिछड़ गए हम । जाना था किधर किधर गए हम। मुकद्दर का गजब करिश्मा है। मिलनें से पहले बिछड़ गए हम। तुम्हें क्या पता दिल पे क्या क्या न बीती। बतानें से पहले गुजर गए हम। नजमीं इस बात पे भला क्या रोंना। बिछड़नें वाले थे,बिछड़ गए हम ।। ©Nasim Nazmi "Shayar"

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