चाहतों की बात नहीं है बस किसी एतबार में रहते थे ज | हिंदी शायरी

"चाहतों की बात नहीं है बस किसी एतबार में रहते थे जितना भी मिले जैसा भी मिले उसी के इंतज़ार में रहते थे ©نمیش"

 चाहतों की बात नहीं है 
बस किसी एतबार में रहते थे
जितना भी मिले जैसा भी मिले
उसी के इंतज़ार में रहते थे

©نمیش

चाहतों की बात नहीं है बस किसी एतबार में रहते थे जितना भी मिले जैसा भी मिले उसी के इंतज़ार में रहते थे ©نمیش

#sharadpurnima

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