लिखें हैं मैंने कुछ मन के ख़्वाब.. कुछ पूरे से, कु

"लिखें हैं मैंने कुछ मन के ख़्वाब.. कुछ पूरे से, कुछ अधूरे से कुछ बहे है अरमाँ स्याह बनकर आँखों से मेरे ख़्वाब.. - सुचिता पाण्डेय✍ "

 लिखें हैं मैंने
कुछ मन के ख़्वाब..

कुछ पूरे से,
कुछ अधूरे से
कुछ बहे है अरमाँ 
स्याह बनकर
आँखों से मेरे ख़्वाब..

- सुचिता पाण्डेय✍

लिखें हैं मैंने कुछ मन के ख़्वाब.. कुछ पूरे से, कुछ अधूरे से कुछ बहे है अरमाँ स्याह बनकर आँखों से मेरे ख़्वाब.. - सुचिता पाण्डेय✍

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