यह कैसे लिख बतलाऊं मैं ?
लिखते हुऐ कलम भी रो पड़ी है।
माँ को कैसे समझाऊं मैं?
जो मैरी राह तके खडी है।
खड़ी है उम्मीद और आस मै,
जो बेटा उसका आएगा,
देखते ही बोलेगा "माँ"
और गले उसे लगाएगा।
अब कैसे उसे बताऊँ मैं ?
के मैं तो माँ आ जाऊंगा ।
पर ना तो गले लगाऊंगा,
और ना ही " माँ " बोल पाऊंगा।
ये संदेशा सुनके माँ,
कैसे चैन से सोएगी?
जो मैरी लाश देख नही सकती,
टुकडो से कैसे लिपट के रोएगी?
14th Feb 2019
©Akriti Singh
#BlackDay🖤