White *आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं | हिंदी कविता

"White *आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं* शीर्षक - "हिंदी साहित्य की जान है" हिंदी जान है ..... साहित्य की ही नहीं... हमारी भी । जानते तो होंगे ही ना ,, मैंने हिंदी के साथ जन्म लिया ,, और मृत्यु में भी हिंदी होगी । बस... हिंदी ही हमारी है ,, कल भी और आज भी ।। सुबह है हिंदी .. रात है हिन्दी । उलझनों में भी .... बात है हिन्दी । अरमां सारे ख्वाब है हिन्दी .. जीवन की मेरे आब है हिन्दी ।। पूजनीय है ईश्वर सी,, मन में बसी... कामेश्वर सी । मेंहदी सी खुशबू है इसमें ,, संतोष सा जादू है इसमें । गम को सारे बिसराती है ,, लेखनी में उतर जाती है ।। शांत नदी सी बसती मुझमें ,, धारा सी हलचल करती मुझमें । कभी सुकून बन जाती है ,, विचलित जब भी मन हो तो.. सुखद दुकूल बन जाती है ।। यह हिन्दी है .... मेरी हिन्दी । हमारी हिन्दी । और मुझे जान से प्यारी हिन्दी ।। ©SEEMA SINGH"

 White *आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं*

शीर्षक  -  "हिंदी साहित्य की जान है"

हिंदी जान है .....
साहित्य की ही नहीं...
हमारी भी ।
जानते तो होंगे ही ना ,,
मैंने हिंदी के साथ जन्म लिया ,,
और मृत्यु में भी हिंदी होगी ।
बस...
हिंदी ही हमारी है ,,
कल भी और आज भी ।।

सुबह है हिंदी ..
रात है हिन्दी ।
उलझनों में भी ....
बात है हिन्दी ।
अरमां सारे ख्वाब है हिन्दी ..
जीवन की मेरे आब है हिन्दी ।।

पूजनीय है ईश्वर सी,,
मन में बसी...
कामेश्वर सी ।
मेंहदी सी खुशबू है इसमें ,,
संतोष सा जादू है इसमें ।
गम को सारे बिसराती है ,,
लेखनी में उतर जाती है ।।

शांत नदी सी बसती मुझमें ,,
धारा सी हलचल करती मुझमें ।
कभी सुकून बन जाती है ,,
विचलित जब भी मन हो तो..
सुखद दुकूल बन जाती है ।।

यह हिन्दी है ....
मेरी हिन्दी ।
हमारी हिन्दी ।
और मुझे जान से प्यारी हिन्दी ।।

©SEEMA SINGH

White *आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं* शीर्षक - "हिंदी साहित्य की जान है" हिंदी जान है ..... साहित्य की ही नहीं... हमारी भी । जानते तो होंगे ही ना ,, मैंने हिंदी के साथ जन्म लिया ,, और मृत्यु में भी हिंदी होगी । बस... हिंदी ही हमारी है ,, कल भी और आज भी ।। सुबह है हिंदी .. रात है हिन्दी । उलझनों में भी .... बात है हिन्दी । अरमां सारे ख्वाब है हिन्दी .. जीवन की मेरे आब है हिन्दी ।। पूजनीय है ईश्वर सी,, मन में बसी... कामेश्वर सी । मेंहदी सी खुशबू है इसमें ,, संतोष सा जादू है इसमें । गम को सारे बिसराती है ,, लेखनी में उतर जाती है ।। शांत नदी सी बसती मुझमें ,, धारा सी हलचल करती मुझमें । कभी सुकून बन जाती है ,, विचलित जब भी मन हो तो.. सुखद दुकूल बन जाती है ।। यह हिन्दी है .... मेरी हिन्दी । हमारी हिन्दी । और मुझे जान से प्यारी हिन्दी ।। ©SEEMA SINGH

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