वो लड़की नही ज़हर थी
ज़हर चखना भी अपना एक शौक था
सहाब मेरा भी वो एक दौर था
जब भी वो मुस्कुराती थी
मानो जैसे बिजलिया गिराती थी
साथ साथ चलती थी उसके अप्सराये
और न जाने क्यों वो मुझसे ही नज़रे चुराये
और फिर कुछ यूह हुआ
मुझे भी उससे इश्क हुआ
वो लड़की नही ज़हर थी
ज़हर चखना भी अपना एक शौक था
सहाब मेरा भी वो एक दौर था
जब भी वो मुस्कुराती थी
मानो जैसे बिजलिया गिराती थी