ये एकतरफा कहते हैं मुझे तेरे इश्क़ में,
मैं नजरंदाज करता हूं,
नाम पूछते हैं जब तेरा,
मैं बस एक राज़ कहता हूं।
मैं आज भी पसंद तुझको ही करता हूं,
मैं आज भी राह तेरी निहारता हूं,
लोग खूबसूरती को पसंद करते हैं तेरी,
मुझे तो तेरी आवाज़ से भी प्यार है,
माप नहीं सकता इसको कोई,
ये इश्क बेशुमार है।
सपनों में ही सही मगर मिल तो कहीं,
मैं बदल दूं खुदको तू हां कर तो सही।
देख लेता हूं तस्वीर तेरी, मुझसे रहा नहीं जाता,
मैं बेइंतहा मोहब्बत करता हूं तुझसे, ये कहा नहीं जाता।
मैं बोल नहीं पाता अपनी लिखी बातों को,
मगर इससे तो समझ मेरे दबे जज्बातों को।
इंतज़ार है तेरा तू आकर मिलना जरूर,
पता लगेगा तुझे तो आकर हां कहना जरूर,
©Vaibhav Chaturvedi
Pratham kavita poetry in hindi