हालातों का मारा तू हो गया अपनों को छोड़ तू कहा खो | हिंदी Poetry

"हालातों का मारा तू हो गया अपनों को छोड़ तू कहा खो गया रहम नहीं करता अब किसी पे क्या तू अंधा हो गया भूखे को रोटी नहीं खिलाता पैसा होते हुए भी तू गरीब हो गया हम मे रहता है हमेशा मानो अब इन्सान अब इन्सान नहीं भगवान् हो गया बड़ो का अब सत्कार नहीं करता एक दिन तू भी बुढ़ा होगा भूल गया केसा फेर चलाया ये तूने जिसमें तू खुद ही घर से दूर हो गया इतना क्या था जरूरी पैसा जो पैसे के लिए तू अपनों को भूल गया हालातों का मारा अब इन्सान हो गया छोड़ शुभम तू भी किस दुनिया मे खो गया ये तू किस दुनिया मे खो गया."

 हालातों का मारा तू हो गया 
अपनों को छोड़ तू कहा खो गया 
रहम नहीं करता अब किसी पे 
क्या तू अंधा हो गया 
भूखे को रोटी नहीं खिलाता 
पैसा होते हुए भी तू गरीब हो गया 
हम मे रहता है हमेशा 
मानो अब इन्सान अब इन्सान नहीं भगवान् हो गया 
बड़ो का अब सत्कार नहीं करता 
एक दिन तू भी बुढ़ा होगा भूल गया 
केसा फेर चलाया ये तूने 
जिसमें तू खुद ही घर से दूर हो गया 
इतना क्या था जरूरी पैसा 
जो पैसे के लिए तू अपनों को भूल गया 
हालातों का मारा अब इन्सान हो गया 
छोड़ शुभम तू भी किस दुनिया मे खो गया 
ये तू किस दुनिया मे खो गया.

हालातों का मारा तू हो गया अपनों को छोड़ तू कहा खो गया रहम नहीं करता अब किसी पे क्या तू अंधा हो गया भूखे को रोटी नहीं खिलाता पैसा होते हुए भी तू गरीब हो गया हम मे रहता है हमेशा मानो अब इन्सान अब इन्सान नहीं भगवान् हो गया बड़ो का अब सत्कार नहीं करता एक दिन तू भी बुढ़ा होगा भूल गया केसा फेर चलाया ये तूने जिसमें तू खुद ही घर से दूर हो गया इतना क्या था जरूरी पैसा जो पैसे के लिए तू अपनों को भूल गया हालातों का मारा अब इन्सान हो गया छोड़ शुभम तू भी किस दुनिया मे खो गया ये तू किस दुनिया मे खो गया.

इंसानियत अब खत्म है समझो दया होती थी कभी अब बंद है समझो.
#HUmanity #Help #poem

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