कौइ मजबुर है "मजदूर के लिये कौइ हिम्त से अपनी गलती | हिंदी कविता

"कौइ मजबुर है "मजदूर के लिये कौइ हिम्त से अपनी गलती लाचारी मान रहा है, किसी ने बहाना ढुढ़ा है, "आन्धी और बरसात का, कौइ फ़्री टिकट तो कौइ, "भोजन बाट रहा है, स्वार्थी समाज अपना चेहरा छुपा रहा है, परिवर्तन प्रकृती का नियम है, मजदूर के भी वक्त बदलेंगे ये कन्फ़र्म है, Akash राजपूत"

 कौइ मजबुर है "मजदूर के लिये
कौइ हिम्त से अपनी गलती 
लाचारी मान रहा है,
किसी ने बहाना ढुढ़ा है,
"आन्धी और बरसात का,
कौइ फ़्री टिकट तो कौइ,
"भोजन बाट रहा है,

स्वार्थी समाज अपना चेहरा छुपा रहा है,
परिवर्तन प्रकृती का नियम है,
मजदूर के भी वक्त बदलेंगे ये कन्फ़र्म है,
Akash राजपूत

कौइ मजबुर है "मजदूर के लिये कौइ हिम्त से अपनी गलती लाचारी मान रहा है, किसी ने बहाना ढुढ़ा है, "आन्धी और बरसात का, कौइ फ़्री टिकट तो कौइ, "भोजन बाट रहा है, स्वार्थी समाज अपना चेहरा छुपा रहा है, परिवर्तन प्रकृती का नियम है, मजदूर के भी वक्त बदलेंगे ये कन्फ़र्म है, Akash राजपूत

#twilight
#कौइ_मजबुर_है "#मजदूर_के_लिये
कौइ हिम्त से अपनी गलती
लाचारी मान रहा है,
किसी ने बहाना ढुढ़ा है,
"#आन्धी_और_बरसात का,
कौइ फ़्री टिकट तो कौइ,
"#भोजन बाट रहा है,

People who shared love close

More like this

Trending Topic