White प्रारब्ध से ज़्यादा अपने मिलना क्या
नसीब से यार दूसरों के जलना क्या
खेल है जिंदगी हार भी है जीत भी
जिंदगी में हार के डर से डरना क्या
कर्म में अकर्म, अकर्म में कर्म जानो
अज्ञान के वशीभूत कर्म करना क्या
मौत तो आयेगी जब उसको आना है
मौत के आने से पहले ही मरना क्या
विश्वास दृढ़ रखिये आसमाँ वाले पर
धरती भी हिल जाये तो सिहरना क्या
जो सदा से अपने हृदय में है ‘मनोज’
मिलना क्या उससे और बिछड़ना क्या
डॉ. मनोज शर्मा
©Nilam Agarwalla
#मनोजशर्मा