गीत लिखे भी ऐसे के सुनाये न गए, ज़ख्म यूँ ज़बान पे उतरे के दिखाए न गए,
तेरे ख्वाब जनाज़े हैं मेरी आँखों में, वो जनाज़े जो कभी घर से न उठाये गए।
गीत लिखे भी ऐसे के सुनाये न गए, ज़ख्म यूँ ज़बान पे उतरे के दिखाए न गए,
तेरे ख्वाब जनाज़े हैं मेरी आँखों में, वो जनाज़े जो कभी घर से न उठाये गए।